माँ जी, “बहू…ओ बहू! जल्दी चाय लाओ। कितनी देर हो गई।" श्रुति को शादी करके आए हुए अभी दो दिन ही हुए थे कि, घर के काम-काज में लग गई थी। करन, “क्या हुआ श्रुति आज तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा है?” श्रुति सहमी हुई “नहीं-नहीं, वो आज समीर…
हिन्दी सामाजिक कहानी: डायरी में कैद सपने Hindi samaajik kahani:Diary Men Kaid Sapne
