बेटियाँ सिर्फ हमारी ही नहीं बल्कि पूरे समाज की धरोहर है । पर शायद हमारा यह समाज इस बात को भूलता जा रहा है । कहा जाता है कि अगर मकान बनाना हो तो सबसे पहले मकान की नींव…
लेख: कितना कुछ सह जाती हैं बेटियाँ: (Lekh:Kitana Kuchh Sah Jati Hain Betiyan)

बेटियाँ सिर्फ हमारी ही नहीं बल्कि पूरे समाज की धरोहर है । पर शायद हमारा यह समाज इस बात को भूलता जा रहा है । कहा जाता है कि अगर मकान बनाना हो तो सबसे पहले मकान की नींव…
कविताशीर्षक- चाहत एक 'स्त्री' कीएक स्त्री आखिर चाहती क्या हैबेटी बन कर माँ-बाप का प्यारपत्नी बनकर पति का प्यारबहू बनकर सास-ससुर का प्यारमाँ बनकर बच्चों का प्यारक्यों नहीं बेटी को बढ़ाते होक्यों नहीं एक पत्नी का हर मोड़ पर साथ…
शीर्षक- मातृभूमि से प्रेम किसेपहले अपने को देखाऊपर से नीचे, ध्यान सेक्या कमी है मुझमेंदिखता तो मैं भी हूँ औरों की तरहफिर चार पहिए में बैठे लोगों को देखाक्या अंतर है, उसमें और मुझमेंयही ना, वह गाड़ी में बैठा हैमैं…