मत करो पुरुषों का शोषण…. मत लगाओ उनपर झूठा आरोप.. मत करो भरी महफिल में उन्हें बदनाम…. वो भी किसी के पिता हैं, किसी के पति, किसी के भाई हैं तो किसी का प्यार है। जैसे स्त्री जननी होती है,वैसे…
भारतेंदु युग और उस युग में गद्य विधाओं का विकास:Bhartendu Yug Aur Us Yug Men Gadh Vidhaon Ka Vikas
जीवन परिचय भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म 9 सितंबर सन 1850, में उत्तर प्रदेश के काशी नगरी में हुआ था। इनका मूल नाम हरिश्चंद्र था। भारतेंदु इनकी उपाधि थी। इनके पिता का नाम गोपाल चंद्र था जो उच्च कोटि के कवि…
कथाकार के रूप में शिवपूजन सहाय की उपलब्धि:Kathakar Ke Rup Men Shivpujan Sahay Ki Uplabdhi
कथाकार के रूप में शिवपूजन सहाय की उपलब्धि कथा साहित्य के विकास में इनकी अहम भूमिका रही है। हिंदी के प्रारंभिक कथाकार होने के नाते सहाय जी का महत्व हिंदी साहित्य में अवर्णनीय है। शिवपूजन सहाय प्रेमचंद के समकालीन कथाकार…
‘पंडिता रमाबाई’:Pandita Ramabai
स्त्री सशक्तिकरण की सूत्रधार 'पंडिता रमाबाई':Stri Sashaktikaran Ki Sutradhar 'Pandita Ramabai' “भाइयों, मुझे क्षमा कीजिए। मेरी आवाज़ आप तक नहीं पहुंच रही हैलेकिन इसपर मुझे आश्चर्य नहीं है। क्या आपने शताब्दियों तक कभीकिसी महिला की आवाज़ सुनने की कोशिश की?…
त्याग की मूरत उर्मिला:Tyag Ki Murat Urmila
रामायण की कथा में सभी ने राम के त्याग को देखा और जाना है, तो वहीं लक्षण, हनुमान और रावण को भी जानने का मौका मिलता है। माँ सीता और श्री राम के त्याग से पूरी दुनिया परिचित है। रामायण…