शीर्षक- नारी के कई रूपबेटी बनकर जन्म लिया,बेटी बनकर हक माँगा,बेटी बनकर अधिकार जताया,बेटी बनकर खुशियाँ लुटाई,बहू बनकर मान सम्मान किया,बहू बनकर अपनी खुशियाँ लुटाई,बहू बनकर सबका ख्याल रखा,बहू बनकर दूसरों की सेवा की,बहू बनकर सास ससुर की सेवा की,पत्नी…
कविता: कई रूपों से भरी है नारी(Kavita: Kai Rupon Se Bhari Hai Naari
