रामायण की कथा में सभी ने राम के त्याग को देखा और जाना है, तो वहीं लक्षण, हनुमान और रावण को भी जानने का मौका मिलता है। माँ सीता और श्री राम के त्याग से पूरी दुनिया परिचित है। रामायण…
प्रेमचंद का उपन्यास ‘सेवासदन’ की नायिका ‘सुमन’ का चरित्र:lekh:Premchand Ka Upnayaas Sewasadan Ki Nayika Suman Ka Charitr
'सेवासदन' प्रेमचंद द्वारा लिखित हिंदी उपन्यास है। प्रेमचंद ने इसे 1916 ईस्वी में उर्दू में 'बाजारे हुस्न' के नाम से लिखा था। फिर इसे प्रेमचंद ने ही 'सेवासदन' नाम से 1919 ई० में इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद किया। यह…
हिंदी नवजागरण के विकास में बिहार की पत्रकारिता की भूमिका :रामवृक्ष बेनीपुरी का संदर्भ:Hindi Navjagran Ke Vikas Men Bihar Ki Patrakarita Ki Bhumika:Ramvriksh Benipuri Ka Sandarbh
हिंदी पत्रकारिता का इतिहास भारतीय राष्ट्रीयता का इतिहास है। पत्रकारिता आधुनिकता की एक विशिष्ट उपलब्धि है। भारत का स्वाधीनता आंदोलन और हिंदी पत्रकारिता दोनों में अन्योन्याश्रय संबंध है। इन दोनों का संबंध भारतीय नवजागरण से है। हिंदी पत्रकारिता के आदि…
औपनिवेशिक आधुनिकता बनाम देशज आधुनिकता और कबीर:Aupniweshik Aadhunikata Banaam Deshaj Aadhunikata Aur Kabir
पुरुषोत्तम अग्रवाल की आलोचना कृति 'अकथ कहानी प्रेम की' कबीर पर ऐसी पहली पुस्तक है जिसमें कबीर पर हिंदी और अंग्रेजी में चले आ रहे आधुनिक विमर्श के भीतर रहते हुए कुछ ऐसे पक्षों पर ध्यान देने की चेष्टा की…
हिन्दी नवजागरण के अग्रदूत ‘आचार्य शिवपूजन सहाय’ का हिन्दी को अवदान:Hindi Navjagran Ke Agradut Aachary Shivpujan Sahay
साहित्य के क्षेत्र में एक उपन्यासकार, कहानीकार, संपादक और पत्रकार के रूप में प्रसिद्ध रहे आचार्य शिवपूजन सहाय को हिंदी नवजागरण का अग्रदूत कहा जाता है। हिंदी नवजागरण के जिस चरण को द्विवेदी युग के नाम से जाना जाता है,…
हर बात तजुर्बे की बताता है बुढ़ापा Har Baat Tajurbe Ki Batata Hai Budhapa
भारत में इस समय वृद्धों की संख्या लगभग 10 करोड़ के आसपास है जो 2050 तक 32 करोड़ 30 लाख हो जाएगी जो भारत की कुल संख्या का 20 फ़ीसदी है। स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के और सर्वजनसुलभ…
दुनिया में असम्भव कुछ भी नहीं Duniya Men Asambhaw Kuchh bhi Nahin
शायद ऐसी घटना औरों के भी साथ होती होगी। पर यहाँ मैं अपना अनुभव बताना चाहती हूँ।दोस्तों एक बात जान लो कि दुनिया में असंभव नाम की कोई चीज है ही नहीं। शायद आप लोगों को ये बात मजाक लगे…
लेख: कितना कुछ सह जाती हैं बेटियाँ: (Lekh:Kitana Kuchh Sah Jati Hain Betiyan)
बेटियाँ सिर्फ हमारी ही नहीं बल्कि पूरे समाज की धरोहर है । पर शायद हमारा यह समाज इस बात को भूलता जा रहा है । कहा जाता है कि अगर मकान बनाना हो तो सबसे पहले मकान की नींव…