“सनी बेटा, चलो सोने का समय हो गया। बहुत रात हो गई बेटा।" रागिनी ने पाँच साल के अपने बेटे को आवाज दी। "ओह! ये क्या? आज भी अकेले सिर्फ मम्मी के साथ ही सोना पड़ रहा है। मम्मी-पापा की…
हिन्दी सामाजिक कहानी: डायरी में कैद सपने Hindi samaajik kahani:Diary Men Kaid Sapne
माँ जी, “बहू…ओ बहू! जल्दी चाय लाओ। कितनी देर हो गई।" श्रुति को शादी करके आए हुए अभी दो दिन ही हुए थे कि, घर के काम-काज में लग गई थी। करन, “क्या हुआ श्रुति आज तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा है?” श्रुति सहमी हुई “नहीं-नहीं, वो आज समीर…
हिन्दी सामाजिक कहानी: बेजान ना जान (Hindi kahani:Bejaan Na Jaan)
शर्मा जी और उनकी धर्मपत्नी कौशल्या जी ने सोचा कि अब तो बेटे रोहित का विवाह हो ही गया। बहू देख लिए और दादा-दादी भी बन गए। अब गंगा नहा ही ले। क्यों न अब हमलोग तीर्थ करने चले जाए।…
हिन्दी सामाजिक कहानी: सात फेरों की चुभन (Hindi kahani:saat Pheron ki Chubhan)
जीतू- सृष्टि इतना क्यों रो रही हो? चुप भी हो जाओ अब। तुम अकेली ऐसी लड़की नहीं हो न जिसकी शादी हुई है? और तुम कोई पराए घर थोड़ी ना आई हो। यहाँ से तुम्हारा मायका 4घंटे की दूरी पर…
प्रेरणात्मक हिन्दी कहानी: नेकी का फल (Prernaatmak Hindi Kahani: Neki ka Phal)
रात के 11 बजे दरवाजा खोलते हुए अंजली बोली- आ गए आप अस्पताल से? समीर- हाँ अंजली। आज अस्पताल में बहुत ज्यादा मरीज थे। अंजली- आप कपड़े बदल लो। मैं आपके लिए खाना लगाती हूँ। समीर- तन्वी और प्रिया कहा हैं? अंजली- तन्वी को दवा खिला…
कहानी:आशा निराशा के बीच “बुजुर्ग” Kahani:Aasha Niraasha ke Bich Bujurg
यह कहानी समाज में बुजुर्गो के साथ हो रहे अन्याय को दर्शाती है । ज्यातर बुजुर्गो के साथ ऐसी घटना देखने को मिलेगी । जहाँ बुजुर्गों की मान मर्यादा का कोई मान नहीं होता ।उनकी लालसाओं को नजरंदाज किया जाता है। उन्हें उपेच्छित …
हिन्दी सामाजिक कहानी: रिश्तों की डोर ( Hindi Saamajik Kahani: Rishton ki Door)
अंश जतिन से कहता हुआ आता है,पापा…पापा! आज मुझे आपके हाथों से खाना खाना है। जतिन कहता है बेटा, देख नहीं रहे मैं फोन पर बिजनेस के सिलसिले में बात कर रहा हूँ किसी से। जाओ मम्मा खिला देंगी।अंश बबली…