हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है। इसी दिन देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में आपनाया गया था। 1953 ईस्वी में पहली बार हिंदी दिवस का आयोजन हुआ था। तभी से आज तक यह सिलसिला चला आ रहा है। हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि हिंदी भाषा का विकास हो और हिंदी को एक पहचान मिले। इसे मनाने का यह कारण है कि वर्ष 1918 में महात्मा गांधी के एक दोस्त “नोनो” नामक व्यक्ति ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने पर प्रश्न उठाया था। लेकिन यह मान्य नहीं हो सका। कई राजनीतिक दलों ने हिंदी को कभी राष्ट्रभाषा बनने का अधिकार ही नहीं दिया।
1947 में जब देश आजाद हुआ तब हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए कई महानुभावों ने प्रयास किया-जैसे, व्यौहार राजेन्द्र सिन्हा, रामचंद्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविंद दास, काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त। व्यौहार राजेंद्र सिन्हा के 50वें जन्मदिन के अवसर पर हिंदी को आधिकारिक भाषा (official language) के रूप में अपनाया गया और तभी से हिंदी के प्रचार प्रसार में बढ़ोतरी हुई।
देश के आजाद होने के 2 साल पश्चात 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एकमत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था और तभी से हर साल 14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इसी के साथ गैर भारतीय भाषा अंग्रेजी को भी भारत की राजभाषा का स्थान मजबूरी में देना पड़ा था इसी कारण हिंदी भाषा के विकास के लिए अंग्रेजी भाषा को पूरे देश से हटाने के लिए हिंदी दिवस के रूप में मनाने का एक संकल्प लिया गया। दुनिया के भाषाओं का इतिहास रखने वाली संस्था एथनोलॉग(Ethnologue) के मुताबिक हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली दूसरी भाषा है। मानक हिंदी का सिल कोड ‘hin’, है।
शिक्षण संस्थाओं तथा सरकारी कार्यालयों में हिंदी पखवाड़ा के रूप में 15 दिनों का एक आयोजन किया जाता है। संविधान के अनुच्छेद 343 (1)- (Article 343) में किया गया है। इस अनुच्छेद के अनुसार भारत की राजभाषा हिंदी और इसकी लिपि देवनागरी है। हिंदी पूरे विश्व में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। वहीं अगर दूसरे पक्ष पर विचार करें तो भारत में कई ऐसी भाषाएं हैं जो धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है। ऐसे में हिंदी की महत्ता को बनाए रखने के लिए हिंदी के प्रचार-प्रसार में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हिंदी दिवस के दिन नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्वारा विज्ञान भवन में हिंदी से संबंधित क्षेत्रों में उनके बेहतर काम के लिए लोगों में पुरस्कार वितरण किए जाते हैं। 25 मार्च 2015 के आदेश में गृह मंत्रालय ने सालाना हिंदी दिवस पर दिए गए दो पुरस्कारों का नाम बदल दिया गया है। 1986 में स्थापित इंदिरा गांधी राजभाषा, पुरस्कार का नाम ‘राजभाषा कीर्ति पुरस्कार’ और ‘राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार’ का नाम बदलकर ‘राजभाषा गौरव पुरस्कार’ कर दिया गया है।
हिंदी साहित्य का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराना है। हिंदी का सबसे ज्यादा विकास आधुनिक काल में देखा जा सकता है। जब हिंदी साहित्य में भारतेंदु हरिश्चंद्र और मुंशी प्रेमचंद जैसे महान साहित्यकारों का आगमन हुआ। भारतेन्दु युग का मुख्य संघर्ष हिंदी के लिए ही था। भारतेन्दु का मूल मंत्र-
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिनु निज भाषा -ज्ञान के मिटत न हिय को सूल’।
अर्थ, मातृभाषा की उन्नति के बिना किसी भी समाज की तरक्की संभव नहीं है तथा अपनी भाषा के ज्ञान के बिना मन की पीड़ा को दूर करना भी मुश्किल है। इसी मंत्र के आधार पर भारतेंदु ने हिंदी को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया। वहीं प्रेमचंद ने भी अपने कलम के माध्यम से हिंदी को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया।
डॉ.वर्षा कुमारी