'सूर्यकांत त्रिपाठी निराला' छायावादी युग के उन चार स्तंभों( जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा) में से एक हैं। इनकी ख्याति छायावादी कवि के रूप में ही है। इन्होंने साहित्यिक जीवन का प्रारंभ 'जन्मभूमि की वंदना' नामक कविता से किया…
महिला आत्मकथाकार अपनी आत्मकथा में व्यक्त करती संघर्षमय जीवन:Mahila Aatmkathakar Apni Aatamkatha Me Vykat karti Sangharshmay Jiwan
आत्मकथा लिखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है अपने प्रति ईमानदारी और निर्वैयक्तिकता। कल्पना की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। न ही झूठ की बुनियाद पर कहानी गढ़नी चाहिए। इन सबसे बचते हुए आत्मकथा को जीवन में घटने वाले सच्ची घटनाओं…
दलित लेखन सामाजिक सरोकार:Dalit Lekhan Samaajik Sarokaar
'दलित' शब्द आधुनिक युग की देन है। प्राचीन काल में दलितों को अछूत और शूद्र कहा जाता था। वर्तमान समय में दलित अनिसुचित जाति के अन्तर्गत आते हैं। दलित शब्द का प्रयोग उनके लिए किया जाता है जो समाज में निचले…