बद्रीनाथ का मकान इतना बड़ा था कि शायद उस शहर में किसी का नहीं। देखने में किसी महल से कम नहीं लगता। जितना बड़ा घर था उतना ही बड़ा घर के सामने बगीचा। फल-फूल से बगीचा भरा रहता था ।जिसका…
हिन्दी सामाजिक कहानी: दरवाजे की घंटी(Hindi Samaajik Kahani:Darwaje Ki Ghanti)
आखिर वो दिना आ ही गया जब मिश्रा जी के घर में शहनाइयां बजने वाली ही है। पड़ोसियों को भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था की आज मिश्रा जी के घर में इतनी चहल-पहल और साज-सज्जा क्यों है।…
हिन्दी सामाजिक कहानी: समय के साथ सोच भी बदलो (Samay Ke Sath Soch Bhi Badalo)
माँ - सपना सब अच्छे से तैयारी कर ली न बेटा ?लड़के वालों के सामने कोई कमी न रह जाय।जी, माँ सब तैयारी कर ली मैंने।कपड़े भी निकाल कर अलग रख लिए । विजय के सामने कोई भी ऐसी वैसी…
किन्नर समुदाय की कहानी: ‘हमें खुद से अलग ना समझें'(Hamen Khud Se Alag Na Samjhen)
पारुल सोचती है कि इस कोरोना जैसी महामारी में लोग गरीबों की मदद कर रहें हैं।क्यों न हम भी थोड़ी बहुत मदद बेसहारा लोगों की करें। गरीबों के पास उतने पैसे कहाँ किवो सेनेटाइजर और मास्क खरीद सके। यही सोचते-सोचते…