शीर्षक- शब्द जिसे मैं लिखना चाहूँ
लिखना तो चाहती हूँ बहुत कुछ
इस जमाने के बारे में
इस बेदर्द दुनिया के बारे में
इस बेमतलबी दुनिया के बारे में
जब भी हाथों में कलम उठाती हूँ
शब्दों को पन्नों में कैद करना चाहती हूँ
साथ ही शब्दों के भावों को आत्मसात करना चाहती हूँ
शायद शब्द कभी दिमाग में ना रहे
क्योंकि पन्नों में कैद शब्द कभी नहीं मिटते ।।
शीर्षक- सुनो! मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ/करती हूँ-
इन शब्दों से ज्यादा मुझे…..
प्यार का एहसास, तेरे दो मीठे शब्दों में है
प्यार का एहसास, तेरे ना होने में है
प्यार का एहसास, तुझे मनाने में है
प्यार का एहसास, तेरी बातों में खो जाने में है
प्यार का एहसास, चुपके से तुझे देखने में है
प्यार का एहसास, तुझे याद करने में है
प्यार का एहसास, तुझसे झगड़ने में है
प्यार का एहसास, तुझे दूर जाते देखने में है
यही तो है, असली प्यार का एहसास।।
शीर्षक- खर्राटे वाला प्यार
तुझे तो रात में सोने की आदत जो है
होनी भी चाहिए, क्योंकि रात तो सोने के लिये ही है
पर कमबख्त ये रात मेरे लिए नही है
क्योंकि, अगर मैं भी सो जाऊँगी
तो तेरे ये खराटे वाले प्यार से महरूम ना रह जाऊँगी।।
शीर्षक- तेरे लिए जिना चाहती हूँ
मैंने जब शादी की थी तुमसे
तब प्यार क्या होता है ,ये नही मालूम था मुझे
पर अब मैं अपना फर्ज पुरा करना चाहती हूँ
तेरे संग शादी में किये, वो हर वादे को
सच करना चाहती हूँ
तेरे संग किये वो हर वादे अब दिल से निभाना चाहती हूँ
अब खुद के लिए नहीं, तेरे लिए जीना चाहती हूँ
अब वो हर फासले दिल से मिटाना चाहती हूँ ।।
डॉ.वर्षा कुमारी