अस्तित्व को तलाशती औरत
औरत एक संघर्ष है
जन्म से मृत्यु तक संघर्ष ही संघर्ष
ना कोई अपना, ना कोई घर अपना
कभी मायके तो, कभी ससुराल
मायके में सुना बेटी तो पराई होती है
ससुराल में सुना, तू तो पराई है
मायके में पराई,ससुराल में भी पराई
घर किसे कहूँ,सपने कहाँ सजाऊँ
कोई छत नहीं है अपना
जहाँ मैं अपना घर बसाऊं
कहीं कोई नहीं है अपना
क्योंकि संघर्ष का दूसरा नाम ही औरत है।।
नारी का जीवन
नारी का अस्तित्व…….
जब तक चुप है,तो अच्छी है
जब तक जवाब नहीं देती, तो सीधी है
जब तक सहती है, तो सहनशील है
जब तक खुश है, तो उसे किसी चीज की कमी कहां है
जब तक प्यार लूटाती है, तो बहुत स्नेहशील है
जब तक दूसरों का आदर करती है, तो बहुत आदरणीय है
जब तक दूसरों की इज्ज़त करती है, तो बहुत अच्छी है
क्या यही है एक नारी का अस्तित्व।।
मैं जननी कैसी
कहते तो हो कि मैं जननी हूँ
पूरा विश्व मेरे कोख से जन्मा है
ना मेरा मान, ना मेरी इज्जत
मुझे हीन भावना से देखते हो
जन्म लेने से पहले ही
बहुत सोचते विचारते हो
छोड़ दूं या मार दूँ
फिर अंतिम निर्णय लेते हो
आखिर मार के ही चैन लेते हो
फिर चैन की साँस लेते हो
ना बेटी की खुशी देखते हो
ना बहू का आत्मसम्मान देखते हो
ना माँ का त्याग देखते हो
ना पत्नी का समर्पण देखते हो
ना ही नारी की इज्ज़त करते हो
ना उसकी मर्जी जानना चाहते हो
हो मर्द ये पता है सबको
पुरूष प्रधान समाज है कब से
इसीलिए सदा प्रधान बनने की सोचते हो
पर ये कैसे भूल जाते हो
तुम्हें इस धरती पर लाया है जिसने
उसे ही पैरों तले कुचते हो
करते हो हजारों ज़ुल्म
पर एक बार भी ये ना देखते हो
क्या गुनाह है उस नारी का
जो सब कुछ छोड़ तेरे पास आई है
तेरा ज़ुल्म हर किसी से छिपाई है
क्योंकि, तू उसका ईश्वर है
पर तु तो दानव है
क्योंकि, तेरे लिए स्त्री मात्र स्वाद की वस्तु है
कहते तो हो कि मैं जननी हूँ
पूरा विश्व मेरे कोख से जन्मा है।।
डॉ.वर्षा कुमारी