रामायण की कथा में सभी ने राम के त्याग को देखा और जाना है, तो वहीं लक्षण, हनुमान और रावण को भी जानने का मौका मिलता है। माँ सीता और श्री राम के त्याग से पूरी दुनिया परिचित है। रामायण की पूरी कथा में राम और सीता को देखा जाता है। मगर एक ऐसी ही स्त्री पात्र है ‘उर्मिला’ जिसे उपेक्षित और अनदेखा किया गया है। उर्मिला का त्याग भी किसी से कम नहीं था। इनके व्यक्तित्व पर बहुत ही कम प्रकाश डाला गया है। राम काव्य परंपरा में उर्मिला के चरित्र का सफल चित्रण ‘साकेत’ और ‘उर्मिला’ में मिलता है। जहाँ उर्मिला के उपेक्षित व्यक्तित्व को उभारने की कोशिश की गई है। मैथिलीशरण गुप्त द्वारा लिखित ‘साकेत’ का नवम सर्ग उर्मिला के त्याग की कहानी है। जहाँ उर्मिला विरह वेदना में डूबी अपने जीवन को सुखमय बनाती हुई नजर आती है।
जब पिता दशरथ ने दिया राम को 14 वर्ष का वनवास
दशरथ के कहने पर जब राम और सीता 14 वर्ष के लिए वनवास जाने लगे तो लक्ष्मण भी उनके साथ जाने की इच्छा प्रकट की। लक्ष्मण को तो अनुमति मिल गई पर जब उर्मिला उनके साथ जाने की बात रखी तो लक्ष्मण ने उन्हें यह कह कर रोक दिया कि अयोध्या के राज्य को और माताओं को उनकी आवश्यकता है। इसी वजह से उर्मिला अपने पति के साथ ना जा सकी।
पति के वचन में बंधी उर्मिला की वेदना
नववधू का 14 वर्ष के लिए अपने पति से दूर रहना कितना कष्टकारी होगा यह उर्मिला का अकेलापन ही बयां कर रहा था। 14 वर्ष तक अपने पति से दूर रह कर भी उर्मिला का मन विचलित नहीं होता। इतने विकट परिस्थिति में भी उर्मिला ने कभी आंसू नहीं बहाए क्योंकि लक्ष्मण ने राम के साथ वन जाते समय उर्मिला से वचन लिया था कि तुम मेरे गैरमौजूदगी में कभी आँसू नहीं बहाओगी। मुझे याद करके कभी अपनी आँखे नम नहीं करोगी क्योंकि अगर तुम ऐसा करोगी तो घर वालों का ध्यान नहीं रख पाओगी। तुम तो अपने ही ग़मों के घेरे में घूमती रहोगी।
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पति के वचनों के लिए त्याग करती उर्मिला
लक्ष्मण के वन चले जाने के बाद उर्मिला को ले जाने के लिए जब यह सोचकर महाराज जनक आए की अगर उर्मिला अपने घर रहेगी और वहाँ अपनी माँ और सखियों के बीच रहेगी तो शायद उर्मिला का पति वियोग थोड़ा तो कम होगा। उसे अपने पति की याद कम सताएगी। पर अपने पति के वचनों को याद करते हुए उर्मिला ने अपने पिता के साथ मायके जाने से साफ इनकार कर दिया क्योंकि उसने अपने पति को वचन दे रखा था कि वह परिवार का साथ निभाएगी। दुख के घड़ी में वह परिवार को अकेला नहीं छोड़ेगी। लक्ष्मण के विजयी होने का कारण उर्मिला का त्याग ही था। उर्मिला कभी अपने पति लक्ष्मण के रास्ते नहीं आती है। बल्कि वह लक्ष्मण के हर वचन का निष्ठा से पालन करती है। वह इसलिए करती है कि लक्ष्मण अपने कर्तव्य से विचलित ना हो सकें। वह अपने भाई और भाभी की रक्षा के लिए गए हैं तो उसमें वह सफलता प्राप्त करें।
डॉ.वर्षा कुमारी