शीर्षक- बेटी
बेटी ना सोच की, लोग क्या कहेंगे
वो होगी तेरी सबसे बड़ी कमजोरी
तुझे तो करने हैं अपने सारे सपने पूरे
बस तू अपने लक्ष्य को देख
और आगे कदम बढ़ा
हमेशा अपने मन की सुन
और उसे पूरा कर
तुझमे है इतनी ताकत
की पूरे विश्व को संभाल सकती है
क्योंकि ये संसार तो तुझसे ही चलता है
जमाने की फिक्र तू ना कर
नौ देवी का है तू एक ही रूप
बेटी ना सोच की, लोग क्या कहेंगे।।
शीर्षक- पिता की सीख बेटी के लिए
“पापा ने कहा – बेटी अब तु
सयानी हो गई,
अब तक मेरी अँगुली पकड़ के चली थी,
अब अकेले चलने की बारी है ,
अब घर से बाहर अपने कदम निकाल,
जी ले अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से,
कर ले अपने सारे सपने पूरे ,”
“बेटी ने कहा – पापा सपने तो पूरे मैं कर लेती,
अकेले जमाने से लड़ लेती,
जब हर गली हर चौराहे पर दरिंदे ताक में ना बैठे होते,
कि कब चिड़िया घोसले से निकले और मैं उसका शिकार करूँ,
इस दरिंदगी भरे समाज में मैं कैसे जियूँ,
कैसे करूँ अपने सारे सपने पूरे,
कैसे दिखाऊँ की मैं भी बेटों से कम नहीं हूँ,
जिसने बचपन में चलाया था हाथ पकड़ के,
उसे मैं कैसे चलाऊँ अपना हाथ पकड़ के ,
जब मैं ही असहाय हूँ, पराधीन हूँ,
सपने तो मेरे भी बहुत बड़े हैं,
पर क्या मैं उसे पूरा कर पाउंगी ऐसी परिस्थिति में,
पापा मैं अपने सपने पूरे कर पाऊँगी कभी।।”
शीर्षक- पिता की सीख बेटी के लिए
“पापा ने कहा – बेटी अब तु
सयानी हो गई,
अब तक मेरी अँगुली पकड़ के चली थी,
अब अकेले चलने की बारी है ,
अब घर से बाहर अपने कदम निकाल,
जी ले अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से,
कर ले अपने सारे सपने पूरे,
“बेटी ने कहा – पापा सपने तो पूरे मैं कर लेती,
अकेले जमाने से लड़ लेती,
जब हर गली हर चौराहे पर दरिंदे ताक में ना बैठे होते,
कि कब चिड़िया घोसले से निकले और मैं उसका शिकार करूँ,
इस दरिंदगी भरे समाज में मैं कैसे जियूँ,
कैसे करूँ अपने सारे सपने पूरे,
कैसे दिखाऊँ की मैं भी बेटों से कम नहीं हूँ,
जिसने बचपन में चलाया था हाथ पकड़ के,
उसे मैं कैसे चलाऊँ अपना हाथ पकड़ के ,
जब मैं ही असहाय हूँ, पराधीन हूँ,
सपने तो मेरे भी बहुत बड़े हैं,
पर क्या मैं उसे पूरा कर पाउंगी ऐसी परिस्थिति में,
पापा मैं अपने सपने पूरे कर पाऊँगी कभी।।”
शीर्षक- बेटी है तो खुशियाँ है
घर की रौनक और घर की जान होती हैं बेटियाँ
माँ-बाप की इज्जत और उनकी शान होती हैं बेटियाँ
ईश्वर का आशीर्वाद और वरदान होती हैं बेटियाँ
इसीलिए घर-घर में नहीं पैदा होती हैं बेटियाँ
जिस घर में जन्मी उस घर की लक्ष्मी होती हैं बेटियाँ
बेटों से ज्यादा ममता लुटाती हैं बेटियाँ
इसीलिए तो बेमिसाल होती हैं बेटियाँ
जो माँ-बाप के दुख और दर्द को समझे वो होती हैं बेटियाँ
इसीलिए तो सबसे ज्यादा समझदार होती हैं बेटियाँ
जो अपना सर्वस्व निछावर कर दे वे होती हैं बेटियाँ
जो माँ-बाप को प्यार से रखे वो होती हैं बेटियाँ
माँ-बाप की आन ,बान और शान होती हैं बेटियाँ ।।
डॉ.वर्षा कुमारी