तुम्हें क्या लगता है कि
फासले नहीं हैं हमारे बीच
मुझसे पूछो कि कितने फासले हैं हमारे बीच
मन में तो हजार सवालें हैं
पर जुबां पर खामोशी ही खामोशी है
स्पर्श से फासले खत्म नहीं होते
जब मन और आत्मा मिलता है वहीं फासला खत्म होता है
मन के उधेड़बुन में उलझ जाती है जिंदगी
कैसे कहें की बेरंग हो जाती है जिंदगी
फासले को खत्म करते-करते जिंदगी ऐसे मोड़ पर आ जाती है
न तन की सुध होती है न मन की।
जिन्दगी जैसे खत्म होती दिखती है।
तुम्हें क्या लगता है कि
फासले नहीं हैं हमारे बीच।।