रीमा अभी शादी नहीं करना चाहती थी। क्ह अभी आगे बहुत कुछ पढ़ना चाहती थी। उसके सपने बस डिग्री हासिल करने भर के ही नहीं थे। उसने अपनी माँ से सपने देखने सीखे थे। उसके सपनों में एक जान थी।…
प्रेरणादायक हिन्दी कहानी: गाँव ही मेरी जिंदगी Hindi kahani: Gaanw Hi Meri Jindagi
आज गाँव वालों की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं है। क्योंकि आज पहली बार बीरपुर गाँव में अस्पताल का उद्घाटन होने जा रहा है। इस गाँव में लगभग सारी सुविधाएं तो उपलब्ध हो गई है। पर एक अस्पताल की…
हिन्दी सामाजिक कहानी: हमें अकेला ना छोड़ो (Samaajik Kahani: Hamen Akela Na Chhodo)
"ओफ! बुढ़ापे में ये जिंदगी भी कितनी नीरस हो जाती है। कल्याणी के जाने के बाद दो पल पास बैठ कर बाते करने वाला कोई नहीं रहा। बहू अपने काम में रहती है। रोहित तो पूरे दिन कॉलेज में ही…
प्रेरणात्मक विचार: जिंदगी एक किताब Prernaatmak vichar: Zindagi Ek Kitab
जिंदगी एक किताब है। इसे किताब की तरह ही देखना और पढ़ना चाहिए। जैसे हमें सभी किताबें अच्छी नहीं लगती,वैसे ही हमारी जिंदगी के पन्ने भी हैं। किताबें अच्छी और बुरी कैसे होती हैं, कभी आपने सोचा है? चलिए मैं…
बिखरते रिश्तों के बीच’सनी’:Bikharte Riston ke Bich Saniबाल मनोविश्लेषणात्मक कहानी
“सनी बेटा, चलो सोने का समय हो गया। बहुत रात हो गई बेटा।" रागिनी ने पाँच साल के अपने बेटे को आवाज दी। "ओह! ये क्या? आज भी अकेले सिर्फ मम्मी के साथ ही सोना पड़ रहा है। मम्मी-पापा की…
हिन्दी सामाजिक कहानी: डायरी में कैद सपने Hindi samaajik kahani:Diary Men Kaid Sapne
माँ जी, “बहू…ओ बहू! जल्दी चाय लाओ। कितनी देर हो गई।" श्रुति को शादी करके आए हुए अभी दो दिन ही हुए थे कि, घर के काम-काज में लग गई थी। करन, “क्या हुआ श्रुति आज तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा है?” श्रुति सहमी हुई “नहीं-नहीं, वो आज समीर…
हिन्दी सामाजिक कहानी: बेजान ना जान (Hindi kahani:Bejaan Na Jaan)
शर्मा जी और उनकी धर्मपत्नी कौशल्या जी ने सोचा कि अब तो बेटे रोहित का विवाह हो ही गया। बहू देख लिए और दादा-दादी भी बन गए। अब गंगा नहा ही ले। क्यों न अब हमलोग तीर्थ करने चले जाए।…
हिन्दी सामाजिक कहानी: सात फेरों की चुभन (Hindi kahani:saat Pheron ki Chubhan)
जीतू- सृष्टि इतना क्यों रो रही हो? चुप भी हो जाओ अब। तुम अकेली ऐसी लड़की नहीं हो न जिसकी शादी हुई है? और तुम कोई पराए घर थोड़ी ना आई हो। यहाँ से तुम्हारा मायका 4घंटे की दूरी पर…
प्रेरणात्मक हिन्दी कहानी: नेकी का फल (Prernaatmak Hindi Kahani: Neki ka Phal)
रात के 11 बजे दरवाजा खोलते हुए अंजली बोली- आ गए आप अस्पताल से? समीर- हाँ अंजली। आज अस्पताल में बहुत ज्यादा मरीज थे। अंजली- आप कपड़े बदल लो। मैं आपके लिए खाना लगाती हूँ। समीर- तन्वी और प्रिया कहा हैं? अंजली- तन्वी को दवा खिला…
कहानी:आशा निराशा के बीच “बुजुर्ग” Kahani:Aasha Niraasha ke Bich Bujurg
यह कहानी समाज में बुजुर्गो के साथ हो रहे अन्याय को दर्शाती है । ज्यातर बुजुर्गो के साथ ऐसी घटना देखने को मिलेगी । जहाँ बुजुर्गों की मान मर्यादा का कोई मान नहीं होता ।उनकी लालसाओं को नजरंदाज किया जाता है। उन्हें उपेच्छित …