कविता- ख्वाहिश कुछ कर गुजरने की
जिंदगी में कभी किसी की हर ख्वाहिश पूरी नहीं होती
जो चाहो वह हमेशा पूरी नही होती
जो हो जाती है बिन माँगे ही पूरी
वो चाहत नहीं होती है
जिसे शिद्दत से चाहो वो कभी नसीब में नहीं होती
जिंदगी तो सबकी गुजरती है
जमीं और आसमां के बीच
जिस जमीं पर लोगों की ख्वाहिश पनपती है
उस ख्वाहिश में आसमां में उड़ने की चाहत दिखती है
जमीं से आसमां के बीच अनगिनत फासलें हैं
उन फासलों को छूने की ख्वाहिश पनपती है
ख्वाहिश में कुछ कर गुजरने का जुनून होता है
उस जुनून में लाखों सपने होते हैं
पर लाखों सपने कभी किसी के पूरे नहीं होते है।
कविता- ‘सहनशक्ति’
बारिश की वो एक बूंद
सबके लिए समान नहीं होती
अमीरों के लिए खुशी के पल होते हैं
तो गरीबों को सोने नहीं देती
छत से बारिश के बूँदों का टपकना
रातों की नींद उड़ा देती है
ढूंढ़ते हैं वो ऐसी जगह
जहाँ बच्चों को सुला सके
ना पड़े बारिश की एक भी बूँद
ना हो उनके कपड़े गीले
ना वो कभी बीमार पड़े
दर्द जिंदगी का बस उन्हें ही पता है
जो इस दर्द की पीड़ा को झेलता है
जिनके पास कोई घर अपना नहीं है
रोते-बिखलते उनके भी बच्चे हैं
जो महलों में रहते हैं
पर भूख से बिखलने का दर्द
गरीब ही समझते हैं
उनके किस्मत में सुख लिखा नहीं होता है
इसीलिए शायद वो सहनशील होते हैं
सहने की आपार क्षमता होती है उनमें
इसीलिए गरीब, गरीब ही रहते हैं।
शीर्षक- ‘उम्मीद’
जब तक जीवन है
जीना पड़ेगा
जब तक जान है
संघर्ष करना पड़ेगा
जब तक पेट है
मेहनत करनी ही पड़ेगी
जब तक साँसे हैं
हिफाजत करनी ही पड़ेगी
जब तक हैं इस दुनिया में
इज्ज़त कमानी ही पड़ेगी
जब तक जान है
डर-डर के जीना ही पड़ेगा
जब तक है उम्मीद
दिया जलाना ही पड़ेगा।।
डॉ.वर्षा कुमारी