शीर्षक- बेटी वरदान या अभिशाप(कविता)
क्यों बेटी होना पाप है क्या?
क्यों बेटी को दुनिया में आने नहीं देते हो,
क्यों आने से पहले ही उसके कफन की तैयारी करते हो,
जब पता चलता है कि कोख में बेटी है,
क्यों घर मे मायूसी सी छा जाती है,
क्यों बेटी से इतनी नफरत करते हो,
क्यों नहीं उसके सपने पूरे करते हो,
क्यों नहीं बेटी को शिक्षित बनाते हो,
क्यों नहीं उसको नौकरी करने देते हो,
क्यों उसे चार दिवारी के अंदर बन्द करके रखना चाहते हो,
क्यों नहीं उसकी इज्ज़त करते हो,
क्यों नहीं उसके सपने पूरे होने देते हो ,
क्यों बेटी होना पाप है क्या?
शीर्षक- तू किसकी बेटी(कविता)
तू बेटी है
मान ले ये बात।।
तू पराई है
मान ले बात।।
तेरा कुछ भी नहीं है
मान ले ये बात।।
तुझे झुकना है सबके सामने
मान ले ये बात।।
तेरी कोई कद्र नहीं होगी
मान ले ये बात।।
तुझे बस दूसरों को खुश रखना है
मान ले ये बात।।
तेरी हैसियत कुछ नहीं है
मान ले ये बात।।
तुझे तो घर के चार दिवारी में ही रहना है
मान ले ये बात।।
तेरा अपना कोई घर नहीं होगा
मान ले ये बात।।
तू बेटी है न मान ले ये बात।।
शीर्षक- दहेज लोभी (कविता)
ओ! दहेज लोभियों
मत करो बेटी ही हत्या
मत करो उसकी इज्ज़त की हत्या
वो भी किसी के दिल का टुकड़ा है
मत करो किसी टुकड़े पर वार
बेटी को मत कुचलो ऐसे
कि वो जन्म लेने से भी डरे
तुम्हें जब दहेज ही चाहिए
तो बनाओ बेटे को इतना लायक
क्योंकि, एक समय जब आयगा
तुम भी अकेले रह जाओगे
बेटी ना करेगी किसी लोभियों से शादी
फिर तुम, वंश कैसे बढ़ाओगे
रह जाओगे वहीं के वहीं
ना आगे बढ़ोगे, ना पीछे
ना बेटी का सुख भोगोगे,ना बेटे का
बस अकेले ही रह जाओगे
ओ! दहेज लोभियों।।
डॉ. वर्षा कुमारी